buynarmadeshwar shivling for home pooja || Full Set 5 Inch
नर्मदा नदी भी भारत की महत्वपूर्ण और पवित्र नदी नदियों में से एक मानी जाती है। इस नदी को लेकर मान्यता है कि इसके किनारे पर मिलने वाले सभी पत्थर स्वयंभू शिवलिंग (Narmada river stones story) हैं। इसके पीछे एक बड़ी ही खास कथा मिलती है जिसके अनुसार नर्मदा नदी को यह वरदान भगवान शिव द्वारा दिया गया था
नदी के तट पर पाए जाने वाले शिवलिंग के आकार के पत्थरों को नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) या बाणलिंग कहा जाता है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव घोर तपस्या कर रहे थे, जिससे उनके शरीर से पसीना टपकने लगा। शिव जी के पसीने से नर्मदा नदी का उद्गम हुआ।
वहीं शिवलिंग की उत्पत्ति को लेकर यह कथा मिलती है कि नर्मदेश्वर या बाणलिंग शिवलिंग की उत्पत्ति भगवान शिव के एक दिव्य बाण से हुई थी। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, तो उनके धनुष से एक शक्तिशाली बाण गिरा। इस बाण के गिरने से नर्मदा नदी के जल में शिवलिंग उत्पन्न हो गए। यही कारण है कि नर्मदा नदी के शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा जाता है।
मिलती है एक और कथा
वहीं शिवलिंग उत्पत्ति को लेकर यह कथा भी मिलती है कि एक बार नर्मदा नदी ने अपनी कड़ी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और यह वर मांगा कि मुझे गंगा जितनी ही प्रसिद्धि और पवित्रता मिले। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि अगर कोई दूसरा देवता भगवान शिव और विष्णु जी की बराबरी कर लेगा, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान पवित्र हो जाएगी।
तब नर्मदा ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, जिससे महादेव प्रसन्न हुए। तब नर्मदा ने उनसे यह वरदान मांगा कि मेरी भक्ति आपके चरणों में बनी रहे। इससे शिव शंकर काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने नर्मदा को यह वरदान दिया कि तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वह मेरे वरदान से शिवलिंग स्वरूप हो जाएंगे।
मिलते हैं ये लाभ
नर्मदा नदी के तट पर पाए जाने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग में दिव्य ऊर्जा का वास माना गया है। इसी के साथ इस शिवलिंग की पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। साथ ही रोजाना इस शिवलिंग की पूजा से सभी प्रकार के रोग व दोष भी दूर होते हैं।
नदी के तट पर पाए जाने वाले शिवलिंग के आकार के पत्थरों को नर्मदेश्वर शिवलिंग (Narmadeshwar Shivling) या बाणलिंग कहा जाता है। कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव घोर तपस्या कर रहे थे, जिससे उनके शरीर से पसीना टपकने लगा। शिव जी के पसीने से नर्मदा नदी का उद्गम हुआ।
वहीं शिवलिंग की उत्पत्ति को लेकर यह कथा मिलती है कि नर्मदेश्वर या बाणलिंग शिवलिंग की उत्पत्ति भगवान शिव के एक दिव्य बाण से हुई थी। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, तो उनके धनुष से एक शक्तिशाली बाण गिरा। इस बाण के गिरने से नर्मदा नदी के जल में शिवलिंग उत्पन्न हो गए। यही कारण है कि नर्मदा नदी के शिवलिंग को बाणलिंग भी कहा जाता है।
मिलती है एक और कथा
वहीं शिवलिंग उत्पत्ति को लेकर यह कथा भी मिलती है कि एक बार नर्मदा नदी ने अपनी कड़ी तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और यह वर मांगा कि मुझे गंगा जितनी ही प्रसिद्धि और पवित्रता मिले। इस पर ब्रह्मा जी ने कहा कि अगर कोई दूसरा देवता भगवान शिव और विष्णु जी की बराबरी कर लेगा, तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान पवित्र हो जाएगी।
तब नर्मदा ने भगवान शिव की आराधना शुरू की, जिससे महादेव प्रसन्न हुए। तब नर्मदा ने उनसे यह वरदान मांगा कि मेरी भक्ति आपके चरणों में बनी रहे। इससे शिव शंकर काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने नर्मदा को यह वरदान दिया कि तुम्हारे तट पर जितने भी पत्थर हैं, वह मेरे वरदान से शिवलिंग स्वरूप हो जाएंगे।
मिलते हैं ये लाभ
नर्मदा नदी के तट पर पाए जाने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग में दिव्य ऊर्जा का वास माना गया है। इसी के साथ इस शिवलिंग की पूजा को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। साथ ही रोजाना इस शिवलिंग की पूजा से सभी प्रकार के रोग व दोष भी दूर होते हैं।
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